पाकिस्तान सरकार ने मौलवियों के दबाव में झुकते हुए शनिवार को रमजान के पवित्र महीने में मस्जिदों में सामूहिक नमाज पढ़ने की इजाजत दे दी है। राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी ने मौलवियों और सभी प्रांतों के राजनीतिक प्रतिनिधियों के साथ हुए बैठक के बाद यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि नमाज को लेकर कुछ नियम बनाए गए हैं। नमाज अदा करते समय सोशल डिस्टेसिंग का पालन किया जाएगा।
पाकिस्तान में कोरोनावायरस के बढ़ते संक्रमण के साथ-साथ सरकार को मौलवियों की मनमानी से भी जूझना पड़ रहा है। सरकार ने पहले सामूहिक नमाज पर मनाही कर रखी थी, लेकिन मौलवी लगातार समूह में ही नमाज करवा रहे थे। ऐसे में इमरान सरकार इन मौलवियों पर कार्रवाई भी नहीं कर पा रही थी। डर था कि कहीं उसे कट्टरपंथी मौलवियों का समर्थन मिलना बंद न हो जाए।
मुनीबुर रहमान और मुफ्ती तकी उस्मानी के नेतृत्व वाले कट्टरपंथी मौलवियों के एक समूह ने कहा था कि ये मौलवी ही तय करेंगें कि मस्जिदें खुलेंगी की नहीं और उनमें नमाज कैसे होगी। सरकार इसमें कोई हस्ताक्षेप न करे। बीते शुक्रवार को जुमा की नमाज के चलते मौलवियों ने सरकार के दिशा-निर्देशों की धज्जियां उड़ा दीं। इससे पहले वाले शुक्रवार को नमाजियों और पुलिस में हाथापाई भी हो गई थी। वहीं, मौलाना अब्दुल अजिज ने सरकार के साथ सहयोग करने से मना कर दिया था। वह धार्मिक मामलों के मंत्रालय के स्वामित्व वाली मस्जिद के मौलवी हैं। इसके बावजूद सरकार उनको पद से नहीं हटा पा रही थी।